Saturday, March 1

कुछ लोग...

कुछ लोग ज़िन्दगी भर अंधेरो से डरते हैं;
कुछ रौशनी कि चाह में अंधेरों में मरते हैं...
कुछ गैरों के घरों की रौशनी से जलते हैं;
कुछ अपने घर जला कर रोशनी करते हैं...

कुछ लोग हाथों की लकीरों में ढल जाते हैं;
कुछ अपना नसीब खुद बदल जाते हैं...
कुछ कहते हैं की मंज़िल मिली नहीं है अभी;
और कुछ मंज़िल से आगे निकल जाते हैं...

कुछ भरते हैं आह, हर चोट जब खाते हैं;
कुछ हर चोट पर बस मुस्कुराते हैं...
कुछ रोते हैं की ज़िन्दगी में गम बहोत है;
और कुछ अपने गमों को ही ज़िन्दगी बना लेते हैं...
...............................................................मुसाफिर

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