Thursday, February 13

तेरे लिए उम्रभर

क्यो ये खुमारी मेरे दिल में
चल रही हैं इस कदर
तेरा ज़िक्र हुआ है जिधर
मै चल पड़ा हूं उधर

सुर्ख सपनों में तेरे
रात भर जागू मैं
दिन ढले वोह मुझे
दिखा नहीं है किधर

उसका बयां था वोह
रुकेगा वहां पलभर
मुद्दते है गुजरी,
आया नहीं है नजर

बेकरारी है या 
है ये इश्क़ तेरा
तू मेरा ना सही
मैं तेरा हूं मगर

मैं रुक जाऊंगा
ए मेरे हमनशीं
यही इसी डगर
तेरे लिए उम्रभर



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