Wednesday, August 27

भीड़

इश्क़ की अपनी तक़दीर हुआ करती है..
दिल पे किसी की तहरीर हुआ करती है..

निगाहे नम और होंठो पे हँसी की लकीर..
उनकी महोब्बत जाहीर हुआ करती है..

कभी पलट के देखना पुरानी किताब के पन्नें..
छिपी हुई कोई तस्वीर हुआ करती है..

यु ही कोई बर्बाद नहीं हुआ करते..
हर रांझे की कोई हीर हुआ करती है..

आशिक़ के घर जाओ तो गुम न होना मुसाफिर...
मैकदो में अक्सर भीड़ हुआ करती है...

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