Friday, February 28

याद आयी..

आज हमें उनसे हुई मुलाक़ात याद आयी;
बड़े दिनों के बाद दिलों की बात याद आयी...

जब टकरायें वो हमसें एक अनजान मोड़ पर;
तब निगाहों से की हुई सौगात याद आयी...

उनकी सबसे छुपती हमें ढूंढती नज़र;
उनकी चमक से रोशन हुई वो रात याद आयी...

वो मिलना हमें उनका दर्द के गलियारों में;
और गर्म अश्कों की वो बरसात याद आयी...

एक रोज़ उन्होंने विदा ली हमसे;
हमारे सामने उठी डोली वो बारात याद आयी...

हम भी चल पड़े थे कफ़न का सेहरा पहने "मुसाफिर";
हमे जनाज़े से की हुई खुराफात याद आयी...
......................................................... मुसाफिर

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