Tuesday, April 1

तन्हाई भरे लम्हों में...

तन्हाई भरे लम्हों में,
...................जब तेरी याद आती है...
थोडा गम सा छूता है,
................थोड़ी मुस्कराहट भी...
थोड़ी तड़प सी उठती है,
................और थोड़ी राहत भी...

तेरे मुझे देख मुस्कुराते वो लब...
..............तेरी पलकों को सजाते काजल का सबब...

मुझपर साया बनती तेरी जुल्फों की घटाएँ...
.............शर्मसार मुझमें समाती तेरी मस्ती भरी निगाहें...

कि मेरे हर मर्ज कि दवा हो तुम जैसे...
.............ग़मज़दा मौसम में उल्फत की हवा हो तुम जैसे...

कि पहली बारिश कि बूंद बदन से सरसराती सी उतरती है...
.............धीरे धीरे जर्रे जर्रे में यूँ बस तेरी महोब्बत छाती है...

गूम हो जाता हूँ कहीं..
.......अपने आप में ही खो जाता हूँ मैं...

मुझे फिर एक बार
.......पागल कर जाती हैं...
तन्हाई भरे लम्हों में,
..........जब तेरी याद आती है...
"मुसाफिर"

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