कभी लगा कि गम निगल ना जाये हमें
गम दूसरों का देखा तो कोई शिकवा ना बचा..
हम अकेले ही नहीं है टुकड़ो में ढलने वाले
जिनका आज तारीख में कोई मितवा ना बचा...
खैर खुश है कि नशा उतर गया
आज महोब्बत का यहाँ मैकदा ना बचा...
पहले भी थी, अब भी नम है आँखें
दर्द कि बाँहों में कोई अपना ना बचा...
ला उम्र हमने उनकी याद में निकाली हैं
अब देख सके ऐसा कोई सपना ना बचा...
अच्छा है कि दिल ख़ामोशी से टूटते हैं
दिल कि चीखे सुनने वाला यहाँ कारवां ना बचा....
गम दूसरों का देखा तो कोई शिकवा ना बचा..
हम अकेले ही नहीं है टुकड़ो में ढलने वाले
जिनका आज तारीख में कोई मितवा ना बचा...
खैर खुश है कि नशा उतर गया
आज महोब्बत का यहाँ मैकदा ना बचा...
पहले भी थी, अब भी नम है आँखें
दर्द कि बाँहों में कोई अपना ना बचा...
ला उम्र हमने उनकी याद में निकाली हैं
अब देख सके ऐसा कोई सपना ना बचा...
अच्छा है कि दिल ख़ामोशी से टूटते हैं
दिल कि चीखे सुनने वाला यहाँ कारवां ना बचा....
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